An overjoyed nation takes pride in strength of Indian democracy

Sudhanshu MittalThe whole nation is overjoyed with Sh. Narendra Modi formally taking oath as the Prime Minister of the country. We must remember that despite negative campaigning by the rivals and personal attacks on Sh. Modi by the political opponents, he ensured that “Good Governance” remained the key focus of the agenda.

He has also indicated with the formation of his new cabinet that the work on providing good governance to teeming millions has begun. But I am confident like many other Indians that this new government means business. The days of policy paralysis are over and the India story which almost got wiped out during 10 years of UPA rule will be written with a new vigour.
Today’s oath taking ceremony was significant in many terms. First, the master stroke of inviting all our neighbouring countries for the ceremony. . Even the most vociferous critics of BJP have been compelled to praise this masterstroke and imaginative initiative of Sh. Modi. By this one important move he has sent a message to all neighbours that India wants to take along all its neighbours in its march towards development.

What our neighbouring country’s representatives also witnessed today was the maturity of Indian democracy. All of us fought a bitter political battle but at the end it is the democracy which wins. There would be very few developing countries in this world who have such an unblemished record of smooth transition of power from one hand to another after such hard fought campaigns.

So let us take a pride in the strength of Indian democracy and begin the task of rebuilding the nation at a positive note.

 

 

इस अभूतपूर्व जनादेश से मिलते हैं कई सकारात्मक संकेत

Sudhanshu Mittalलोकसभा 2014 के जनादेश से कई महत्वपूर्ण संदेश मिलते हैं। सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह मिलता नज़र आता है कि इस देश में एकऐसी नई युवा पीढ़ी आ गई है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए विश्वसनीय नेतृत्व का भरपूर समर्थन करने के लिए कोईकोर कसर नहीं छोड़ रखती है। चाहे सोशल मीडिया हो यां जमीनी स्तर पर ‘चाय पर चर्चा’ जैसे कार्यक्रम यां फिर श्री नरेंद्र मोदी कीरैलियों में उमड़ा अपार जनसमूह। हर जगह हमने देखा कि खास तौर से युवा वर्ग श्री नरेंद्र मोदी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ाहुआ महसूस कर रहा था। युवावर्ग को लग रहा था कि हां कोई ऐसा व्यक्तित्व है इस देश में जिसकी बात पर भरोसा किया जासकता है।

श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को मिले इस ऐतहासिक समर्थन का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी कि इस प्रक्रिया में इस देश मेंराजनीतिक विश्वसनीयता के संकट को समाप्त करने के दौर की भी शुरूआत हो गई है। हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ दशकोंमें भारतीय राजनीति का स्वरूप कुछ ऐसा हो गया था कि जनसाधारण के मन में एक राजनीतिक की छवि नकारात्मक हो गई थी।राजनीति का जिस तरहं से अपराधीकरण हुआ उसके कारण इस भावना को और ज्यादा बल मिला। इसी के चलते लगातार चुनावोंमें मतदान का प्रतिशत भी गिर रहा था। यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत शुभ संकेत नहीं थे।

लेकिन श्री मोदी के बेदाग व्यक्तित्व, परिणामोन्मुखी कार्यशैली और उनकी निर्भीकता ने पुनः भारतीय राजनीति के प्रति लोगों मेंआशा की किरण जगाई है। मैं मतदान में हुए भारी वृद्धि और भाजपा को मिले अभूतपूर्व समर्थन को इस परिप्रेक्ष्य में भी देखनाचाहूंगा। एक और संकेत जो इस जनादेश से मैं पढ़ पाया हूं वह यह है कि कि देश अब कई व्यवस्थाओं में आमूल चूल परिवर्तनचाहता है और इसके लिए उसने अभूतर्व जनादेश दिया है क्योंकि उसे लगता है कि श्री मोदी के नेतृत्व में आने वाली सरकार यहकाम कर सकती है। देश को श्री मोदी पर भरोसा है कि जिस प्रकार उन्होंने गुजरात में चुस्त और चाक चैबंद प्रशासनिक व्यवस्थाकायम करने के लिए नवोन्मेषी तरीके अपनाए उसी प्रकार से अब केंद्र सरकार से जुड़ी प्रशासनिक व्यवस्थाओं में निश्चित हीसकारात्मक बदलाव होगा जिससे जनसाधारण की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

 

बीते वित्तीय वर्ष के मिश्रित संकेत

Sudhanshu Mittal31 मार्च 2014 को समाप्त हुआ वित्तीय वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मिश्रित संदेश लेकर आया है। चूंकि अब यह साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन की आगामी लोकसभा चुनावों में बुरी तरहं से हार होने वाली है और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन स्पष्ट बहुमत की ओर तेजी से बढ़ता दिख रहा है इसलिए बाजारों में कुछ सकारात्मक संकेत नजर आ रहे हैं।

निवेशक इस उम्मीद के साथ बाजारों की ओर लौटने लगे हैं कि अंततः यूपीए सरकार का शासनकाल रूपी दुःस्वप्न समाप्त होने जा रहा है। बाजार और निवेशकों का यह सकारात्मक रूख भाजपा और उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता का परिचायक भी है जिनके सत्ता में आने की संभावना दिन प्रतिदिन प्रबलतम होती जा रही है।

भाजपा ने जब 2004 में कांग्रेस को केंद्र में सत्ता सौंपी थी तो देश की विकास दर 8.4 प्रतिशत पर आ चुकी थी, आज यूपीए जब भाजपा को दोबारा सत्ता सौंपेगा तो यही विकास दर पांच फीसदी से भी कम पर आ चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के आर्थिक विकास की गाड़ी को पटरी से उतारने में कांग्रेस ने कितनी बड़ी सफलता हासिल कर ली! यूपीए सरकार के शासन काल में खासतौर से पिछले तीन सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी साख में भारी गिरावट आई है।

सभी प्रमुख रेंटिंग एजेंसियों ने भारत की आर्थिक बदहाली के मद्देनजर इसकी रेटिंग कम कर दी है। हमारा मैनुफैक्चरिंग सेक्टर, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी की तरहं होता है, बुरी तरहं से लडखड़ा चुका है।

कम से कम 500 अरब रूपए की महत्वपूर्ण परियोजनाएं मनमोहन सरकार की ढिलाई की विजह से फाईलों से जमीन पर नहीं उतर पाई हैं। इसी आर्थिक कुप्रबंधन का नतीजा हमारे सामने लगातार बढ़ती मंहगाई के रूप में भी सामने आया है।

जरा सोचिए कि आम आदमी की हालत क्या होगी जब एक ओर उसके पास आय के साधन और अवसर घट रहे हों तथा दूसरी ओर मंहगाई दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ रही हो।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जो आम आदमी पर मंहगाई के असर का सबसे प्रभावी पैमाना है लगातार दहाई के आंकड़े के पार बना रहा है। एक ओर आम आदमी पर मंहगाई की मार तथा दूसरी ओर सरकारी खजाने से कांग्रेस और उसके सहयोगदी दलों के आला नेताओं और निहित स्वार्थों तत्तवों की लाखों करोड़ों रूपयों की लूट अगर आम आदमी को मंहगाई के जख्म पर भ्रष्टाचार का नमक लगेगा तो वह तिलमिलाएगा ही।

आम आदमी की यही तिलमिलाहट इन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करेगी।